वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-एक वक्त था जब पूर्व मंत्री हाजी याकूब का एक दौर में सियासत में खूब सिक्का चला, लेकिन मेरठ-हापुड़ रोड की मीट फैक्टरी में पांच करोड़ का मीट पकड़े जाने के बाद वह अर्श से फर्श पर आ गिरे। हाजी याकूब से विवादों का पुराना नाता रहा है। वहीं अब एक और मामले में शासन से बड़ी कार्रवाई की गई है।
डेनमार्क के कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने पर 51 करोड़ के इनाम की घोषणा के मामले में पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की मुश्किल एक बार फिर बढ़ गईं हैं। शासन ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति दे दी है। अभी हाल ही में वह नौ माह बाद गैंगस्टर के मामले में जमानत पर जेल से बाहर आए थे।
पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी ने 17 फरवरी 2006 को फैज-ए-आम इंटर कॉलेज में हुई सभा में यह विवादित बयान दिया था। भाजपा नेता और श्रम कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुनील भराला ने आठ अगस्त 2007 को देहली गेट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी। शासन को केस डायरी भेजी गई थी।
वहीं, केस डायरी गायब होने की वजह से शासन से अनुमति नहीं मिल पाई थी। पुलिस की ओर से दोबारा केस डायरी तैयार करते हुए शासन से अनुमति मांगी थी। सीओ कोतवाली अमित कुमार राय ने बताया कि शासन से चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मिल गई है। एक-दो दिन में चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी। इस मामले में पूर्व मंत्री जमानत पर हैं।
मेरठ-हापुड़ रोड की मीट फैक्टरी में पांच करोड़ का मीट पकड़े जाने के बाद वांटेड पूर्व मंत्री हाजी याकूब का एक दौर में सियासत में खूब सिक्का चला। याकूब के पिता फईमुद्दीन कुरैशी कभी कबाड़ी बाजार के चौपले गुड़ का व्यापार करते थे। बाद में प्रापर्टी डीलिंग भी की और फिर मीट के कारोबार में आए तो सियासत में उतर गए। याकूब नगर निगम पार्षद, डिप्टी मेयर और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे।
हाजी याकूब ने नगर पालिका मेरठ के कमेले का ठेका लिया तो वर्ष 1995-96 में पार्षद चुने गए और फिर डिप्टी मेयर बन गए। 2002 की बसपा सरकार में याकूब का यह सफर राज्यमंत्री के पद तक पहुंचा। याकूब 2002 में बसपा से खरखौदा सीट से विधायक चुने गए। बसपा की सरकार बनी और हाजी याकूब राज्यमंत्री बनाए गए।
मंत्री बने तो लगा ली मीट फैक्टरी, खाड़ी देशों तक निर्यात
मंत्री बनने के बाद याकूब ने खाड़ी देशों में मीट के निर्यात के लिए हापुड़ रोड़ पर अल फहीम मीटैक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से फैक्टरी लगाई। नगर निगम के कमेले पर याकूब का कब्जा था ही।
वर्ष 2016 में याकूब ने सिटी अस्पताल भी खरीद लिया। वर्ष 2007 में याकूब ने यूडीएफ नाम से अपनी पार्टी बनाई और मेरठ शहर सीट विधायक भी चुने गए। जीत के बाद उन्होंने यूडीएफ का बसपा में विलय कर दिया।
आखिरी चुनाव 2007 मेें जीता, 2013 में कमेला भी हुआ बंद
वर्ष 2012 से याकूब की मुश्किलें बढ़नी शुरू हुईं। याकूब 2012 में रालोद के टिकट पर सरधना से चुनाव लड़े पर हार गए। वर्ष 2013 में नगर निगम का कमेला तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने ध्वस्त करा दिया। इसके बाद घोसीपुर में नए कमेले का भी याकूब ने ठेका लिया पर वह चल नहीं सका।
वर्ष 2014 में याकूब ने बसपा के टिकट पर मुरादाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा पर हार गए। इसके बाद 2017 में मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव हारे। वर्ष 2019 में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से याकूब ने गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा पर जीत नहीं सके।
अखलाक और आजम से नहीं बनी
मेरठ में नगर निगम के कमेले के ठेके के लिए हाजी याकूब और पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक के परिवारों के बीच अदावत भी रही। दोनों गुटों के बीच हुई फायरिंग मेें शाहिद के पिता हाजी अखलाक को गोली भी लग गई थी। सपा के कद्दावर नेता आजम खां से भी याकूब का समीकरण ठीक नहीं रहा।
कार्टूनिस्ट पर 51 करोड़ के इनाम से विवादों में रहे याकूब
डेनमार्क के कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने वाले को 51 करोड़ रुपये देने का एलान करने के बाद याकूब विवादों में आए थे। शहर में हापुड़ अड्डे चौराहे पर गाड़ी को हाथ देने पर सिपाही चहन सिंह को थप्पड़ मारने के मामले में भी याकूब घिर गए थे। सूबे में भाजपा सरकार आने के बाद से ही याकूब पुलिस के रडार पर आ गए और उनकी मीट फैक्टरी पर कार्रवाई हो गई। याकूब की बेटी पर स्कूल में बच्चों की हंटर से पिटाई का आरोप भी लगा था। इसकी वीडियो भी वायरल हो गई थी।